06 सितंबर 2013

बीते दिनों की कोई निशानी रहने दो ।।




तुमने बेच डाले सारे अखबार
पर पिता के खतों को रहने दो ।
कंप्यूटर का जमाना है
उनकी लिखावट को कुछ कहने दो।
तुमने बनाया नया घर 
पर पुराने मेज-कुर्सी को रहने दो।


उन पर बैठ कर लिखी माँ ने अनेक कहानियां
उन पायों को न ढहने दो।
विचार एक अनंत खोज है
एक अनंत श्रृंखला है
उन लेख कहानियों के चिंतन को
निर्बाध गति से बहने दो ।
तुमने निकाल फेंका पूरे घर का कबाड
पर कलम को रहने दो ।
कलम एक हथियार है
उसे बिना हिंसा के कुछ कहने दो ।
बीते दिनों की कोई निशानी रहने दो ।।

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