24 फ़रवरी 2011

खेतों में चलेगा हल,तो मिलेगा अर्थव्यववस्था को बल

वर्तमान यूपीए सरकार के कार्यकाल कृषि क्षेत्र बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है। और सरकार के इरादे से साफ लगा रहा है कि वह कृषि क्षेत्र को लेकर तो गंभीर है और ही इस दिशा में कोई कदम उठाने जा रही है। कृषि क्षेत्र में सुधार का एजेंडा तैयार करना आम लोगों के लिए तो जरूरी है ही साथ ही सरकार और देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी उतना ही अहम है। इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि जब खोतों में चलेगा हल, तभी मिलेगा अर्थव्यवस्था को भी बल।

अब तब महंगाई के मोर्चे पर पूरी तरह चित हो चुकी सरकार के लिए महंगाई से लोगों को राहत दिलाने का यही एक मात्र हथियार है। लेकिन सरकार के रवैये से लगता नहीं है कि वह इस बार भी ऐसा कुछ करने जा रही है क्योंकि उन्हें लोगों की बेहतर जिंदगी से ज्यादा अर्थव्यवस्था की ऊंची विकास दर प्यारी है। बजट सत्र के दौरान सरकार ने साफ तौर पर कह दिया वह महंगाई से तो चिंतित है लेकिन किसी भी शर्त पर ऊंची विकास दर से समझौता नहीं किया जा सकता। सरकार की मंशा जाहिर है कि उसे विकास दर कम करने की शर्त मंजूर नहीं है भले ही आम आदमी महंगाई की इस चक्की में पिस-पिस कर मर जाए। सरकार को आम लोगों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है।

ऊंची विकास दर को बनाए रखना गलत नहीं है लेकिन कृषि क्षेत्र को बिल्कुल उपेक्षित रखना खतरनाक है। सरकार के इरादे से तो यही लगता है कि केवल विदेशी पूंजी निवेश बढ़ाने और आर्थिक सुधार की गति तेज करने से ऊंची विकास दर आसानी से हासिल की जा सकती है। जबकि सरकार का जोर कृषि क्षेत्र में सुधारों पर बिल्कुल भी नहीं है। सरकार को यह याद रखनी चाहिए कि कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से ही हम मजबूत आर्थिक विकास की ओर बढ़ सकेंगे। कृषि उत्पादन बढऩे की स्थिति में ही सरकार को भी महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। देखा जाए तो हाल के दिनों में खाद्य वस्तुओं के बढ़ते दामों ने ही लोगों को सबसे ज्यादा परेशान किया है। अगर देश में कृषि उत्पादन बढ़े तो लोगों को महंगाई से भी राहत मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

खेती पर आज भी देश की 67 फीसदी आबादी निर्भर करती है। जब कृषि क्षेत्र का विकास होगा तभी खेती कार्यों से जुड़े लोगों विशेषकर किसानों और मजदूरों की माली हालत सुधरेगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र क्षेत्र का समग्र विकास संभव होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक विकास के जरिये ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है और इससे ऊंची विकास दर को बनाए रखने में भी आसानी होगी। सरकार को एक बात साफ तौर पर जान लेनी चाहिए कि केवल दिल्ली, मुंबई और अन्य महनगरों में ऊंची-ऊंची इमारतें, चमचमती गाडिय़ां और बहुराष्टï्रीय कंपनियों में काम के लिए दिन रात भागते लोग ही विकास का पैमाना नहीं है। इस हवा-हवाई विकास से सरकार का भ्रम कब तक टूटेगा?

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