06 अप्रैल 2011

क्रिकेट जीता पर भारत हारा !

क्रिकेट विश्व कप जीत कर भारत विश्व विजेता बन गया है। एक भारतीय होने के नाते मुझे भी टीम की इस उपलब्धी पर गर्व है और मैं टीम को इसके लिए बधाई देता हूं। लेकिन विश्व कप शुरू होने से लेकर जीत के बाद तक के पूरे घटनाक्रम को देखते हुए मेरे मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मुझे लगता है कि इस विश्व कप में केवल क्रिकेट जीता है जबकि देश हार गया है।

खेल नहीं अब कारोबार का खेल
इसके पीछे कई तर्क हैं। क्रिकेट अब केवल खेल भी नहीं रह गया है बल्कि यह तो कारोबार का खेल बन कर रह गया
है। भारतीय उप महाद्वीप पर विश्व कप महाकुंभ के आयोजन का सबसे बड़ा फायदा आईसीसी और बीसीसीआई को मिला जबकि भारत के विश्व कप जीतने से क्रिकेट खिलाड़ी, आयोजक, प्रसरक सभी मालामाल हुए हैं। जीत के बाद तो टीम इंडिया की प्रशंसा में हर तरफ कसीदे पढ़े जा रहे हैं और उनपर चारों ओर से धनवर्षा हो रही है। यहां के लोगों की अंध राष्टï्रीयता की आंधी में देश की सरकार, कंपनियां सभी उड़ रही हैं। टीम में शामिल सदस्यों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार, उद्योग जगत, कंपनियां आदि सभी में रुपया, गाड़ी, आलिशान बंगला, पदोन्नति, पुरस्कार आदि बांटने की तो होड़ सी लगी हुई है। केंद्र सरकार ने पुरस्कार राशि को पूरी तरह कर मुक्त करने की घोषणा करने के अलावा आईसीसी को भी 45 करोड़ रुपये की कर से मुक्त दिया। विश्व की सबसे अमीर खेल संस्था आईसीसी ने देश में करीब 700 करोड़ की अंधाधूंध कमाई की उसे कर छूट देने का क्या औचित्य है? मैं पूछता हूं कि सरकार की इस दरियादिली से किसका नुकसान हुआ है? जाहिर तौर पर देश का। जिस देश में बाकी खेलों के लिए रत्ती भर की सुविधाएं नहीं है वहां की सरकार क्रिकेट के नाम पर मनमाना धन लूटा रही है। दरअसल यह क्रिकेट मोह नहीं है बल्कि हर कोई देश में क्रिकेट की अंधी लोकप्रियता को भूनाने में लगी है। एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि यह खेल मैदान से हटकर अब कॉर्पोरेट टेबल पर खेला जाने लगा है। यह खेल कारोबार राजनीति और माफिया का अड्डï बन चुका है। टीम इंडिया की जीत पर जश्न मनाइए लकिन जोश में होश मत गंवाइए। नहीं तो देर सबेर इसका खामियाजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना होगा।

राष्टï्रीयता के नाम पर केवल क्रिकेट ही क्यों ?
ऐसा लगता है आप क्रिकेट मैच नहीं देखते या टीम इंडिया की तारीफदारी नहीं करते हो आप सच्चे देश भक्त नहीं है।
यहां क्रिकेट ही सच्ची राष्टï्रीयता का सर्टिफिकेट है। तभी तो कुछ लोग जो भारत-पाक मैच के दौरान पाकिस्तान टीम का समर्थन करते देखे जाते हैं उन्हें देश द्रोह करार दिया जाता है। क्रिकेट की आड़ में सब कुछ माफ है। चाहे बाकी खेल जहन्नु में जाए। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाडिय़ों को पुरस्कार के रूप में कितने रुपये मिले? सरकार ने उनकी सुविधाओं के लिए क्या किया? खिलाड़ी लगातार खेल संघों के अडिय़लय रवैये और सुविधा होने का रोना रोते रहते हैं लेकिन इसे सुनने वाला कोई नहीं है। वल्र्ड कप क्या जीत कर हम विश्व विजेता बनने का दावा कर रहे हैं। लेकिन जरा सोचिए ओलंपिक में हम आज भी एक स्वर्ण पदक तक नहीं जीत पाते हैं। हम अपनी इस कमजोरी को छूपाते हैं और क्रिकेट की जीत पर इताराते हैं। क्रिकेट का मतलब पूरा खेल नहीं बल्कि क्रिकेट का मतलब बाकी खेल और खिलाडिय़ों का सत्यानाश है।

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