22 फ़रवरी 2011

केवल नाम का झुनझुना थमाने से कब तक फुसलेगा आम आदमी

वित्त मंत्री ने पिछले साल के बजट को 'आम आदमी का बजटÓ का नाम दिया था। जबकि बजट प्रस्तावों में आम आदमी के लिए राहत की कोई खास बात नहीं थी। केवल नाम (आम आदमी का बजट) का झुनझुना पकड़ा देने आम लोगों को राहत मिलने वाली नहीं है। बेहतर होगा कि वित्त मंत्री सही मायने में आम लोगों को लाभ पहुंचाने वाला बजट पेश करें। संभव है महंगाई से त्रस्त जनता को राहत देने के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी आगामी बजट में कुछ ठोस कदम उठाने की घोषणा करेंगे। हो सकता है कि इस बार वे आयकर छूट का दायरा बढ़ाने जैसे प्रस्तावों पर भी विचार करें। वित्त मंत्री अगर ऐसा करते हैं तो मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह बड़ी राहत की बात होगी। आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर सालाना 2 लाख रुपये तक करने की मांग पिछले काफी समय से उठ रही है। लेकिन देखना यह है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री इस मुद्दे पर कोई रुख अपनाते हैं या नहीं। आयकर छूट का दायरा बढऩे से सामान्य नौकरी पेशा लोग जिनकी सीमित आय है, उनके पास खर्च के लिए थोड़ी ज्यादा आय अपने पास बच सकेगी। लेकिन गैर नौकरी पेशा वाले लोगों के लिए महंगाई से राहत देने के लिए सरकार को कुछ कदम उठाने की दरकार है। खासकर किसान-मजदूर वर्ग के लोग जिन्हें काफी कम आय में ही गुजर-बसर करना पड़ता है, क्या उनके लिए भी वित्त मंत्री राहत का कोई पिटारा खालेंगे?

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